जब तलक अपने लहू से न रंग जाऊँ बोलो कैसे दफ़न हो जाऊँ? जब तलक अपने लहू से न रंग जाऊँ बोलो कैसे दफ़न हो जाऊँ?
राम जन्में यहां, कृष्ण खेलें यहां। इतनी पावन है, धरती सुहानी लगे। राम जन्में यहां, कृष्ण खेलें यहां। इतनी पावन है, धरती सुहा...
अपना अपना करता है मन कुछ नहीं है अपना रे। अपना अपना करता है मन कुछ नहीं है अपना रे।
लक्ष्य पाना है कर पूर्ण समर्पण है नितांत निस्वार्थ बालपन। लक्ष्य पाना है कर पूर्ण समर्पण है नितांत निस्वार्थ बालपन।
उनका ये बचपना देख हम बड़े भी कभी तो खुश हो जाते। उनका ये बचपना देख हम बड़े भी कभी तो खुश हो जाते।
उदास मुखड़े दे जाती हैं खुशबू की सौगात और बदल जाती है तपती दोपहर में। उदास मुखड़े दे जाती हैं खुशबू की सौगात और बदल जाती है तपती दोपहर में।